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मोदी राज में दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध बढ़े - NCRB की रिपोर्ट

 24 Apr 2024

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार साल 2022 में अनुसूचित जाति के ख़िलाफ अपराध 13 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के ख़िलाफ 14.3 प्रतिशत की दर से  अपराध बढ़े हैं। महिलाओं से जुड़े अपराधों में 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ की गयी है। जबकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का दावा है कि उन्होंने दलितों,वंचितों और महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने का काम किया है। यूपी में महिलाओं के ख़िलाफ़ सबसे ज़्यादा मामले दर्ज हुए।



एससी के ख़िलाफ मामलों की संख्या

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी 'भारत में अपराध - 2022' रिपोर्ट ने दलितों के प्रति बढ़ रहे अपराधों की परतों को एक बार फिर खोल कर रख दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में अनुसूचित जाति (एससी) के खिलाफ़ 57,582 आपराधिक मामले दर्ज़ हुए जबकि 2021 में 50,900 मामलों को दर्ज़ किया गया था। यानी 2021 की तुलना में 2022 में दलितों के ख़िलाफ आपराधिक मामलों में 13.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

दलितों के ख़िलाफ कुल मामलों में 32 प्रतिशत यानी 18,428 मामले सामान्य चोट के तहत दर्ज किये गये थे, जबकि आपराधिक धमकी के तहत 9.2 प्रतिशत यानी 5,274 मामले, एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत 8.2 प्रतिशत यानी 4,703 मामले दर्ज किये गये थे।दलितों के ख़िलाफ हुए अपराधों में 1,735 मामले ऐसे थे, जो जानबूझकर अपमान करने और ड़राने- धमकाने से संबंधित हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, 305 मामले ऐसे भी हैं जहां आरोपियों ने दलितों को सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोका। बाकी 50 मामले ऐसे भी थे जिसमें दलितों की भूमि को कब्ज़ा लिया गया। कुल 15 मामले ऐसे भी रहे जहां अनुसूचित जाति के व्यक्ति को अपना निवास स्थान छोड़ने के लिए मजबूर किया गया या उनका सामाजिक बहिष्कार तक किया गया था।



एसटी के ख़िलाफ मामलों की संख्या


2022 में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के ख़िलाफ अपराध के कुल 10,064 मामले दर्ज किये गये। जबकि 2021 में कुल 8,802 मामले दर्ज़ हुए थे। यानी 2021 की तुलना में 2022 में एसटी के ख़िलाफ आपराधिक मामलों में 14.3 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी। जिनमें से साधारण चोट के मामले 28.1 प्रतिशत यानी 2,826 और बलात्कार के 13.4 प्रतिशत यानी 1,347 मामले दर्ज़ हुए थे। लगभग 10.2 प्रतिशत यानी 1,022 मामले ऐसे थे जिनमें महिलाओं की शील भंग करने के इरादे से उनपर हमला किया गया था।

एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम से संबंधित कुल 329 मामले दर्ज़ हुए थे। जबकि 130 मामले ऐसे थे, जिनमें एसटी समुदाय का जानबूझकर अपमान या उन्हें डराया-धमकाया गया था। इसके अलावा 41 मामले ऐसे थे जिनमें उनकी ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की गयी थी।


महिलाओं के ख़िलाफ 4 प्रतिशत आपराधिक मामले बढ़े

एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में महिलाओं के प्रति 4,45,256 आपराधिक मामले दर्ज़ हुए, जिनमें 31.4 प्रतिशत शिकायतें उनके पति या रिश्तेदारों के विरुद्ध दर्ज़ हुईं। भारत में महिलाओं के ख़िलाफ अपराधों में 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ हुई है, जिनमें करीबियों द्वारा अपहरण, हिंसा, बलात्कार जैसे अपराध शामिल हैं। 

महिलाओं के ख़िलाफ 2020 में 3,71,503 मामले दर्ज़ हुए, जो 2022 में बढ़कर 4,45,256 मामलों तक पहुंच गये जिनमें 1,40,000 से अधिक मामले 'पति या उनके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता' (आईपीसी की धारा 498 ए) के तहत दर्ज़ किये गये।   इसके अलावा दहेज निषेध अधिनियम के तहत 13,479 मामले दर्ज किए गये।

दिल्ली में महिलाओं के ख़िलाफ अपराध के 14,158 मामले दर्ज़ किए गये। मुंबई में 6,176 मामले दर्ज़ हुए, जबकि बेंगलुरु में ऐसे 3,924 मामले दर्ज़ हुए।

उत्तर प्रदेश में आईपीसी(भारतीय दंड संहिता) और विशेष और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं के ख़िलाफ अपराध के 65,743 मामले सामने आये, जो कि देश में सबसे अधिक है। इसके बाद महाराष्ट्र में 45,331 मामले और राजस्थान में 45,058 मामले दर्ज किये गये।